प्लासी और बक्सर का युद्ध

प्लासी और बक्सर का युद्ध

● प्लासी का युद्ध (1757)

प्लासी का युद्ध 1757 में बंगाल के नवाब सिराजुद्दोला और ईस्ट इंडिया कम्पनी के तरफ से रॉबर्ट क्लाइव के बीच हुआ था। इस युद्ध का मुख्य कारण ईस्ट इंडिया कम्पनी की बंगाल में बढ़ती महत्वकांक्षा थी जिसने बंगाल के नवाब को मजबूरन युद्ध करने पर विवश किया।

हालांकि ईस्ट इंडिया कम्पनी ने इस युद्ध का दोषारोपण सिराजुद्दोला पर मढ़ते हुए अलीनगर की संधि की अवहेलना बताई थी। अलीनगर की संधि दोनों पक्ष में एक दूसरे के मामले में दखल नहीं देने तथा प्रेम सौहार्द बनाये रखने की आपसी समझ थी।

प्लासी के युद्ध में सिराजुद्दोला के सेना की संख्या लगभग 50000 थी तथा अंग्रेजों की सेना की सँख्या मात्र 3200 थी। मीर जाफर सिराजुद्दोला का प्रधान सेनापति था जो इस युद्ध में अंग्रेजों की तरफ से षड़यंत्र रचा। मीर जाफर ने युद्ध के दिन सेना के एक बड़े हिस्से को युद्ध में शामिल नहीं होने दिया। दुर्लभ राय समेत एक से एक महारथी इस युद्ध में सिराजुद्दोला के साथ दग़ाबाज़ी की। फलतः जब सिराजुद्दोला को यह प्रतीत हुआ कि उसके पीछे की सेना और सामर्थ्य उसके साथ नहीं है तो वह तुरंत रण से भाग चला। युद्धभूमि से भागने के उपरांत वह मुर्शिदाबाद पहुंचा तदोपरांत फिर अपनी पत्नी के साथ पटना को रवाना हुआ। इन्हीं उतार चढ़ाव और घटनाओं के बीच मौका पाते ही मीर जाफ़र के पुत्र ने सिराजुद्दोला की निर्मम हत्या कर दी।

अंततः प्लासी के युद्ध क्षेत्र में अंग्रेजों के षड़यंत्र और मीर जाफ़र की बगावत के फलस्वरूप सिराजुद्दोला ने घुटने टेक दिए। ईस्ट इंडिया कम्पनी की इस षड्यंत्रभरी जीत ने उन्हें बंगाल में पैर पसारने का बढ़िया अवसर दिया। अंग्रेजों द्वारा तय किये वादे के हिसाब से बंगाल के नए नवाब के रूप में मीर जाफ़र को प्रतिस्थापित किया। बदले में मीर जाफ़र ने कम्पनी को बंगाल, बिहार और उड़ीसा में मुक्त व्यापार की खुली छूट दी। साथ ही उन्हें निजी व्यापार पर कर से भी मुक्ति दे दी गई। इस तरह मीर जाफर को बंगाल की गद्दी हथियाने के लिए ईस्ट इंडिया कम्पनी को भारी रकम अदा करनी पड़ी।

● प्लासी युद्ध का परिणाम

अंग्रेजों तथा बंगाल के नवाब सिराजुद्दोला के मध्य युद्ध के परिणामस्वरूप अंग्रेजों का पूरे बंगाल पर नियंत्रण हो गया। लार्ड क्लाइव ने सिराजुद्दोला के जगह अपने कठपुतली मीर जाफर को बंगाल का नवाब बनाया जिसने बक्सर की लड़ाई में ईस्ट इंडिया कम्पनी की जीत दर्ज करने में बहुत मदद की।
प्लासी की जीत ने न सिर्फ इजारेदारी के रूप में वित्तिय उपलब्धि प्राप्त की अपितु फ्रांसीसी और डच कम्पनियों को कमजोर बनाकर उनको जड़ से उखाड़ फेंका। षड़यंत्र से रचा यह युद्ध ईस्ट इंडिया कम्पनी को भावी भविष्य संजोने का नवस्वप्न दिखाया।

● बक्सर का युद्ध (1764)

बक्सर का युद्ध बंगाल के नवाब मीर कासिम, अवध के नवाब शुजाउदौला एवं मुगल शासक शाह आलम द्वितीय तथा ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच हुआ था। इस युद्ध में अंग्रेजों की कमान मेजर हेक्टर मुनरो के हाथ में थी। बिहार के बक्सर जिले में युद्ध होने के कारण ही इसे ‘बक्सर के युद्ध’ की संज्ञा दी जाती है। बक्सर का युद्ध प्लासी के युद्ध की पूर्णाहुति थी जिसने अंग्रेजों को बंगाल में राजनैतिक सर्वोच्चता स्थापित करने की राह प्रशस्त की।

ईस्ट इंडिया कम्पनी की बंगाल में दखलंदाजी और मनमाफ़िक नीति से परेशान होकर बंगाल के नबाब ने अवध के नवाब शुजाउदौला और मुगल शासक शाह आलम द्वितीय से एक संधि की। संधि के मुताबिक इस गुट का मकसद ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल से बाहर करना था।

22 अक्टूबर 1764 को बक्सर का युद्ध प्लासी के युद्ध से अलग था। प्लासी के युद्ध में एक तरफ जहाँ ईस्ट इंडिया कम्पनी ने षड़यंत्र से युद्ध विजित किया था वहीं बक्सर के युद्ध में अंग्रेजों ने अपने रण और कौशल का परिचय दिया। अंग्रेज इस बार दुगुने उत्साह से रण में दाखिल हुए। वांडीवाश के युद्ध में फ्रांसीसियों को बुरी तरह से खदेड़ने का यह अनुभव अंग्रेजों को बक्सर के युद्ध में निर्णायक भूमिका अदा की। बक्सर के युद्ध में मीर कासिम बुरी तरह से पराजित हुआ। यह ऐसा युद्ध था जिसने अवध के नवाब और मुगल शासक शाह आलम द्वितीय के खोखले रणनीति को तार तार कर दिया। इस युद्ध के जरिये अंग्रजों ने न सिर्फ उत्तर भारत की प्रत्येक संभावनाओं को कुचल दिया अपितु मुगल शक्ति की बची हुई साख भी धूल धूसरित कर दी।

● बक्सर युद्ध का परिणाम

बक्सर युद्ध में जीत के उपरांत लार्ड क्लाइव ने दो दो संधियां की। एक संधि अवध के नवाब शुजाउदौला के साथ की और दूसरी संधि शाह आलम द्वितीय के साथ की। बंगाल में नवाब की सेना को भंग करके एक नायब सूबेदार का प्रावधान किया गया जिसकी नियुक्ति कम्पनी के द्वारा होनी थी।

इलाहाबाद की संधि के उपरांत ईस्ट इंडिया कम्पनी ने अवध के नवाब से इलाहाबाद एवं कोरा का क्षेत्र तथा शाह आलम द्वितीय से बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी प्राप्त की। साथ ही अंग्रेजों को दीवानी के अधिकार और बंगाल के राजस्व पर सम्पूर्ण नियंत्रण प्रदान कर दिया गया।

● प्लासी एवं बक्सर के युद्धों का महत्व

अंग्रेजों ने प्लासी और बक्सर के दोनों युद्धों को विजित कर बंगाल में अपनी राजनैतिक सत्ता की हरी झंडी गाड़ दी। एक तरफ जहाँ प्लासी और बक्सर की जीत ने अंग्रेजों के मनोबल को उत्साहित किया वहीं दूसरी तरफ बंगाल में वर्षों से चली आ रही नवाबी प्रथा की खटिया खड़ा कर दी। भारत में अब अंग्रेजों को चुनौती देने वाला कोई दूसरा नहीं था। यह विजय सिर्फ मीर कासिक के विरुद्ध न होकर अवध के नवाब और मुगल बादशाह के भी विरुद्ध थी जिसने सच्चे मायनो में मुगल बादशाहत को धूल चटाकर दिल्ली की ओर ब्रिटिश शासन की स्थापना का ब्लू प्रिंट तैयार किया।

● परीक्षाओं में पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्न

1). मुगल सम्राट द्वारा नियुक्त बंगाल का अंतिम गवर्नर कौन था ?

     – मुर्शिद कुली खान

2). भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का संस्थापक किसे  माना जाता है ?

     – लार्ड रॉबर्ट क्लाइव

3). प्लासी का युद्ध मैदान कहाँ स्थित है ?

     – पश्चिम बंगाल

4). प्लासी का युद्ध कब हुआ था ?

    – 1757 में

5). बक्सर का युद्ध कब हुआ था ?

     – 1764 में

6). किस शासक ने अपनी राजधानी मुर्शिदाबाद से मुंगेर स्थानांतरित की ?

    – मीर कासिम ने

7). बक्सर के युद्ध के समय दिल्ली का शासक कौन था ?

     – शाह आलम द्वितीय

8). बक्सर की लड़ाई के समय बंगाल का नवाब कौन था ?

    – मीर जाफर

9). ईस्ट इंडिया कम्पनी को दीवानी किसने प्रदान की ?

    – शाह आलम द्वितीय

10). वांडीवाश का युद्ध किनके बीच हुआ था ?

     – अंग्रेजों एवं फ्रांसीसियों के बीच (1760 ई.)

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