मूल कर्तव्य (Fundamental Duties)

मूल कर्तव्य (Fundamental Duties) और उनके महत्त्व.

मूल कर्तव्य (Fundamental Duties)
मूल कर्तव्य हिंदी में, मूल कर्तव्य की परिभाषा, मूल कर्तव्य कौन कौन से हैं, मूल कर्तव्य कितने हैं, मूल कर्तव्यों को संविधान में कब जोड़ा गया, सरदार स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशें, रिपोर्ट क्या थीं, Mul Kartavya Kya Hai इत्यादि इस लेख के माध्यम से जानेंगे .

मूल कर्तव्य, वस्तुतः मूल संविधान का हिस्सा नहीं थे. मूल संविधान में सिर्फ मूल अधिकारों (मूल अधिकार TOP-20 FACTS यहाँ पढ़े) को ही रखा गया था. संविधान निर्माताओं ने मूल कर्तव्यों को राज्य के नीति निदेशक तत्वों में जगह दिया था. वर्ष 1976 में रूसी संविधान से प्रभावित होकर तथा स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों के उपरांत भारतीय संविधान में 42 वाँ संविधान संशोधन (mini constitution) अधिनियम के माध्यम से, संविधान में अनुच्छेद 51(क) को जोड़ा गया. मूल कर्तव्यों का उल्लेख संविधान के भाग 4 (क) और अनुच्छेद 51(क) में उल्लेखित किया गया है .

● स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशें –

वर्ष 1975-77 के दौरान भारत में आपातकाल लागू था . देश असामाजिक तत्वों के आग में जल रहा था. ठीक उसी दौरान वर्ष 1976 में सरदार स्वर्ण सिंह समिति का गठन किया गया जिसका मूल उद्देश्य भारत के नागरिकों के मूल कर्तव्यों और उनकी आवश्यकताओं के बारे में अपनी संस्तुति देनी थी.

” सरदार स्वर्ण सिंह समिति ने सिफारिशें की कि देश के नागरिकों को अपने अधिकारों को वहन करने के साथ-साथ देश के प्रति अपने कर्तव्यों को भी निर्वहन करना चाहिए . “

● मूल कर्तव्यों को संविधान में कब जोड़ा गया

वर्ष 1976 में केंद्र सरकार द्वारा स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए संविधान में भाग 4(क) और अनुच्छेद 51(क) को जोड़ा गया. स्वर्ण सिंह समिति ने ‘आठ’ मूल कर्तव्यों को जोड़ने का सुझाव दिया था किंतु 42वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा नागरिको के लिए पहली बार कुल 10 मूल कर्तव्यों को जोड़ा गया.

● मूल कर्तव्य (Fundamental Duties) कितने हैं

वर्तमान में संविधान में कुल 11 मौलिक कर्तव्य वर्णित है . नागरिको के लिए पहली बार वर्ष 1976 में कुल 10 मूल कर्तव्यों को जोड़ा गया. बाद में साल 2002 में 86वें संविधान द्वारा एक और मूल कर्तव्य को जोड़ा गया जिसका उद्देश्य 6 से 14 वर्ष तक के आयु के बच्चों को शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराना था।

● मूल कर्तव्य (Fundamental Duties) कौन कौन से हैं

  1. संविधान का पालन करना और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज एवं राष्ट्र गान का आदर करना।
  2. स्वतंत्रता के लिये हमारे राष्ट्रीय संघर्ष को प्रेरित करने वाले महान आदर्शों का पालन करना।
  3. भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को बनाए रखना और उसकी रक्षा करना।
  4. देश की रक्षा करना और आह्वान किये जाने पर राष्ट्र की सेवा करना।
  5. भारत के लोगों में समरसता और समान भातृत्व की भावना का निर्माण करना जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग आधारित सभी प्रकार के भेदभाव से परे हो। साथ ही ऐसी प्रथाओं का त्याग करना जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध हैं।
  6. हमारी समग्र संस्कृति की समृद्ध विरासत को महत्त्व देना और संरक्षित करना।
  7. वनों, झीलों, नदियों और वन्यजीवन सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा एवं सुधार करना और प्राणिमात्र के लिए दयाभाव रखना।
  8. मानवतावाद, वैज्ञानिक दृष्टिकोण तथा ज्ञानार्जन एवं सुधार की भावना का विकास करना।
  9. सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा करना एवं हिंसा से दूर रहना।
  10. व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधि के सभी क्षेत्रों में उत्कृष्टता के लिये प्रयास करना ताकि राष्ट्र लगातार उच्च स्तर की उपलब्धि हासिल करे।
  11. 6 से 14 वर्ष तक के आयु के अपने बच्चों को शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराना। (86वें संविधान द्वारा जोड़ा गया)

● मूल कर्तव्यों की विशेषताएं

मौलिक कर्तव्य भारतीय परम्परा, पौराणिक कथाओं, धर्म तथा रीति रिवाजों को अपने आप में समेटे हुए हैं .मूल कर्तव्यो का वर्गीकरण भारतीय जीवन यापन के अनुसार किया गया है .

मूल अधिकार भारत में रहने वाले हर व्यक्ति पर लागू होते हैं चाहे वो भारतीय हो या विदेशी लेकिन मौलिक कर्तव्य केवल भारत के नागरिकों के लिए ही है .”

मूल कर्तव्यों के हनन के विरुद्ध न्यायालय द्वारा कानूनी कार्यवाही का प्रावधान नहीं है .लेकिन संसद इसके लिए उचित अर्थदंड और सजा का प्रावधान बना सकती है. मूल कर्तव्यों में नैतिक कर्तव्य और नागरिक कर्तव्य दोनों को समाहित किया गया है.

● मूल कर्तव्यों का महत्त्व

मूल कर्तव्य देश के नागरिकों को राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य के सम्बन्ध में जानकारी देते हैं.

मूल कर्तव्य राष्ट्र विरोधी और समाज विरोधी गतिविधियों के खिलाफ चेतावनी के रूप में कार्य करते हैं .जैसे राष्ट्र ध्वज को जलाना अथवा सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाना.

मूल कर्तव्य देश के नागरिकों में अनुशासन और देश के प्रति जिम्मेदारी को बढ़ाते हैं .

मौलिक कर्तव्य प्रत्येक नागरिक को ये अहसास दिलाते हैं कि राष्ट्रीय लक्ष्य की प्राप्ति के लिए वे सक्रीय भागीदार हैं.

● मूल कर्तव्य (Fundamental Duties) पर वर्मा समिति की टिप्पणियाँ

1999 में वर्मा समिति ने कुछ मूल कर्तव्यों के पालन के लिए कानूनी प्रावधानों को लागू करने की व्यवस्थाएं की थी .

राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय गान के अपमान करने वालों पर राष्ट्र गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 लागु होता है.

जाति एवं धर्म से सम्बंधित अपराधों के लिए सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम 1955 लागू होता है .

भारतीय दंड संहिता (IPC) में राष्ट्रीय अखंडता को बनाये रखने के लिए कई दंडात्मक प्रावधान है.

वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों के व्यापार पर प्रतिबन्ध लगाता है. इसके अतिरिक्त वन भूमि के गलत इस्तेमाल के रोक के लिए वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1980 लागु होता है.

●मूल कर्तव्य (Fundamental Duties) से विभिन्न परीक्षाओं में पूछे जाने वाले प्रश्न

1). वर्तमान में मूल कर्तव्य कितने हैं ?
11

2). मूल कर्तव्य क्या है ?
मूल कर्तव्य देश के नागरिकों को राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य के सम्बन्ध में जानकारी देते हैं.

3). मूल कर्तव्य कब जोड़े गए ?
वर्ष 1976 में 10 मूल कर्तव्य जोड़े गए और वर्ष 2002 में एक और मूल कर्तव्य को जोड़ा गया .

4). नागरिकों के मूल कर्तव्य क्या है ?
नागरिकों के मूल कर्तव्यों में नैतिक कर्तव्य और नागरिक कर्तव्य दोनों समाहित है.

5). मूल कर्तव्य से आशय क्या है ?
मूल कर्तव्य प्रत्येक नागरिक को ये अहसास दिलाते हैं कि राष्ट्रीय लक्ष्य की प्राप्ति के लिए वे सक्रीय भागीदार हैं.

6). संविधान के मूल कर्तव्य कितने हैं ?
संविधान के कुल मूल कर्तव्यों की संख्या ग्यारह (11) है.

7). भारत में मूल कर्तव्य कितने हैं ?
भारत में कुल मूल कर्तव्यों की संख्या ग्यारह (11) ही है.

8). मूल कर्तव्य और मूल अधिकार में क्या अंतर है ?
मूल कर्तव्यों के हनन के विरुद्ध न्यायालय द्वारा कानूनी कार्यवाही का प्रावधान नहीं है जबकि मूल अधिकारों के खिलाफ न्यायालय द्वारा नागरिकों को संरक्षण दिया गया है.

9). मूल कर्तव्य और मूल अधिकार कितने हैं ?
मूल कर्तव्यों की संख्या 11 है और मूल अधिकारों की संख्या 6 है.

10). सरदार स्वर्ण समिति की भूमिका क्या है ?
संविधान में मूल कर्तव्यों को जोड़ने में सरदार स्वर्ण सिंह समिति की अग्रिम भूमिका है.

11). सरदार स्वर्ण समिति के सदस्य (Member) कितने थे

सरदार स्वर्ण समिति के कुल सदस्यों की संख्या 12 थी.

12). सरदार स्वर्ण समिति कब गठित की गई थी

सरदार स्वर्ण समिति का गठन वर्ष 1976 में हुआ था.

13). वर्मा समिति किससे सम्बंधित है ?
मूल कर्तव्यों के पालन के लिए कानूनी प्रावधानों को लागू करने की व्यवस्थाएं की थी वर्मा समिति का सम्बंध सरदार स्वर्ण सिंह समिति से है.

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