भारतीय मानसून की प्रकृति एवं विशेषताएँ

भारतीय मानसून की प्रकृति एवं विशेषताएँ

    भारतीय मानसून

  मानसून शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के ‘मौसम’ से हुई है l मानसून एक ऐसी आवर्ती पवन है, जिसकी दिशा में परिवर्तन ऋतु-परिवर्तन के साथ होता है l ग्रीष्म ऋतु के समय इस पवन की दिशा समुद्र से स्थल की ओर तथा शीत ऋतु में इस पवन की दिशा स्थल से समुद्र की ओर होती है l यह शब्द भारत की जलवायु से गहरे रूप से सम्बंधित है l भारत में कृषि को भारतीय मानसून का जुआ कहा जाता है l भारत की जलवायु मानसूनी जलवायु है l

 वर्षा ऋतु में वर्षा दक्षिणी पश्चिमी मानसून के द्वारा होती है l इस समय भारत के उत्तर पश्चिमी भाग एवं पाकिस्तान में निम्न वायु  दाब का क्षेत्र बन जाता है जिससे अन्तः उष्णकटिबन्धीय अभिसरण क्षेत्र (inter tropical convergence zone) (ITCZ) उत्तर की ओर सरक जाता है l इससे दक्षिणी गोलार्ध की व्यापारिक पवने पर्याप्त नमी लिए हुए दक्षिण पश्निम मानसून पवनो के रूप में विषुवत रेखा को पार करके भारत में चली आती हैं, जिससे काले घने बदल उमड़ते हैं और भारी  बारिश होती हैl

 भारत के प्रायद्वीपीय आकृति के कारण यह दो शाखाओं में बंट जाती है l पहली अरब सागर की शाखा, दूसरी बंगाल की खाड़ी की शाखा l

 अरब सागर की शाखा अधिक शक्तिशाली होती है l यह पश्चिमी घाट पर्वत से टकराकर केरल में भारी वर्षा करते हुए आगे बढती है lतमिलनाडु पश्चिमी घाट के वृष्टि छाया क्षेत्र में होने के कारण इस पवन से वर्षा नही प्राप्त कर पाता l साथ ही राजस्थान में यह पवन अरावली पर्वत के सामानांतर मरुस्थल होते हुए निकल जाती है l आगे हिमालय के पहाडियों से टकराकर हिमाचल प्रदेश एवं अन्य आस पास के क्षेत्रो में वर्षा करती  है l 

दक्षिण पश्चिम मानसून की बंगाल की खाड़ी वाली शाखा गारो, खासी और जयंतिया पहाड़ियों से टकराकर पूर्वी भाग में जोरदार बारिश करती हैं l इसी वजह से मेघालय का मासिनराम सर्वाधिक वर्षा का स्थान है l

 दक्षिणी पश्चिमी मानसून के द्वारा 1 जून तक केरल, 10 जून तक मुंबई तथा 15 जुलाई तक सम्पूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप में वर्षा होती है l

    शीत ऋतु में उत्तर भारत के मैदानी भागों में भूमध्यसागरीय पश्चिमी विछोभो / जेट स्ट्रीम के द्वारा वर्षा होती है l राजस्थान में इस वर्षा को मावट कहते हैं l पश्चिम से पूरब की ओर जाने पर वर्षा की मात्रा में कमी होती है l इसी समय दक्षिण भारत में उत्तर पूर्वी मानसून / लौटते हुए मानसून से तमिलनाडु के तट पर वर्षा होती है l

    ग्रीष्म ऋतु में सूर्य के उत्तरायण होने के कारण उत्तर भारत में तापमान बढ़ने के साथ तीव्र एवं शुष्क हवाएं चलती हैं जिसे लू कहा जाता है l इस समय दक्षिणी पूर्वी आर्द्र समुद्री पवनो के द्वारा मानसून पूर्व की वर्षा होती है जिसे देश के विभिन्न भागो में भिन्न भिन्न नामों से जाना जाता है l असम में इसे चाय वर्षा, ओडिशा में नार्वेस्टर, बंगाल में काल बैशाखी, कर्नाटक में चेरी ब्लाजम तथा केरल में आम्र वर्षा कहते हैंl

भारतीय मानसून से परीक्षा में पूछे गये प्रश्न –

1.दक्षिण-पश्चिम मानसून निम्नलिखित में से किस प्रदेश में सर्वप्रथम प्रवेश करता है

  • केरल

2.मानसून किस भाषा का शब्द है 

  • अरबी भाषा

3.आम्र वर्षा क्या है  

  • ग्रीष्म ऋतू में आम्र वर्षा केरल तथा पश्चिम के तटीय मैदानी भागों में होती है। आम की फ़सल के लिए उपयोगी होने के कारण ही इसे आम्र वर्षा कहा जाता है।

4.भारत में सर्वाधिक वर्षा प्राप्त करने वाला स्थान है

  • दक्षिण पश्चिम मानसून की बंगाल की खाड़ी वाली शाखा गारो, खासी और जयंतिया पहाड़ियों से टकराकर पूर्वी भाग में जोरदार बारिश करती हैं l इसी वजह से मेघालय का मासिनराम सर्वाधिक वर्षा का स्थान है l

5. देश के किस भाग में मानसून के अरब सागर और बंगाल की खाड़ी दोनों ही शाखाओ से वर्षा होती है l

  • पंजाब

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