मृदा प्रदूषण

मृदा प्रदूषण , कारण , प्रभाव और उपाय Mrida Pradushan

Soil pollution in hindi

मृदा प्रदूषण से तात्पर्य , कारण , प्रभाव और उपाय


मिट्टी या मृदा मानव जाति के लिए अत्यधिक उपयोगी है | मिट्टी हमारे प्राकृतिक वातावरण का एक मूलभूत तत्व है और इसके बिना जीवन असम्भव है इसलिए जिसकी रक्षा और संरक्षण के लिए हमें अपना योगदान देना चाहिए ।
परन्तु आज हमारी लापरवाही के कारण वनस्पति और मृदा प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हो रही है। वास्तविकता यह है कि मृदा प्रदूषण हमारी स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए एक गंभीर खतरा है, जो आने वाले पीढ़ियों के लिए भी चिंता का विषय है ।


मृदा प्रदुषण के स्रोत


मृदा प्रदूषण अर्थात् भूमि में विभिन्न प्रदूषकों के उपस्थिति की स्थिति है, जिससे वनस्पति, प्राणीयों के जीवन और मानव स्वास्थ्य प्रभावित होते हैं। मृदा प्रदुषण के प्रमुख स्रोत निम्नलिखित हैं |


औद्योगिक कचरा – औद्योगिक क्षेत्रो से निकले कचरे में हानिकारक रसायन होते है जो जल में मिलकर खेतों तक पहुचाते हैं और उपजों मिट्टी को बंजर बना रहे हैं | |इसके अतिरिक्त तेल उद्योग , कागज उद्योग , पॉवर हीटिंग प्लांट आदि मृदा प्रदुषण के स्रोत हैं |


घरेलु कचरे से मृदा प्रदुषण – गाँवो और शहरों में घरेलु कचरा मृदा प्रदुषण का प्रमुख स्रोत है | मानव मलमूत्र , सब्जी के सड़े गले पदार्थ , नालियों की गंदकी आदि जब बाहर जाता है इससे निकले रासायनिक तत्व मृदा को प्रदूषित करते हैं.

कृषि से मृदा प्रदुषण – वर्तमान समय में मानव आधिक उपज और अधिक मुनाफा प्राप्त करने के लिए कृषि में रासायनिक उर्वरको और खादों का प्रयोग कर रहा है , जो मिट्टी की भोतिक और रासायनिक गुणों में अत्यधिक परिवर्तन कर रहे हैं | इसके अतिरिक्त कीटनाशकों का प्रयोग मिट्टी में उपस्थित बैक्टीरिया एवं शुक्ष्म जीवों को नष्ट कर देते हैं |मृदा प्रदुषण को रोकने के लिए फिर से हमें पारंपरिक खेती करने की आवश्यकता है जिसमे जैविक खादों पर निर्भरता बल बल दिया जाता है |

प्लास्टिक का प्रयोग – वर्तमान समय में प्लास्टिक का प्रयोग बोहोत ही सामान्य है , लेकिन एक प्लास्टिक को मृदा में अपघटित होने में बहुत लम्बा समय लगता है | प्लास्टिक कैंसर जन्य प्रदार्थों को पानी के जल में घोलता है और जल से ये पदार्थ मिट्टी में मिल जाते हैं |


मृदा प्रदूषण का प्रभाव


मृदा प्रदूषण का प्रभाव मानव स्वास्थ्य पर भी गंभीर होता है। धरती की मृदा में विषाणुओं, हैमिकल और बैक्टीरिया की मौजूदगी वातावरण और जीवन के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। लोगों को त्वचा रोग, श्वसन संबंधी समस्याएं, एलर्जी, कैंसर, और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। मृदा प्रदुषण का प्रभाव वनस्पति एवं अन्य प्राणियों पर भी पड़ता है , जिससे जीवन चक्र असंतुलित होता जा रहा है |


मृदा प्रदूषण नियंत्रण


मृदा प्रदूषण नियंत्रण के लिए सकारात्मक कदम उठाना अत्यंत आवश्यक है । सरकार के साथ-साथ हमारी भी जिम्मेदारी है कि हम सतत प्रयास करें और इस समस्या को हल करने के लिए सहयोग करें। हमें उच्चतम गुणवत्ता वाले खाद्य उत्पादों का उपयोग करना चाहिए | बागवानी में जैविक तत्वों का उपयोग करना चाहिए रासायनिको और कीटनाशकों का प्रयोग प्रतिबंधित होना चाहिए और साथ ही जैविक खेती की तरफ उन्मुख होना चाहिए , जो भूमि की उपजाऊता को बढ़ावा देती हैं।

हमें भूमि की उचित उपयोग और उर्वरकों के सही और ज़िम्मेदार उपयोग पर विशेष ध्यान देना चाहिए । घरों और फक्ट्रियों से निकले वाले कचरे का संशोधन अनिवार्य कर देना चाहिए साथ ही प्लास्टिक के प्रयोग को पूर्णतया प्रतिबंधित कर देना चाहिए |
साथ ही साथ जनसंख्या वृद्धि, औद्योगिकीकरण और वाणिज्यिकीकरण के प्रभाव को समझते हुए हमें अपने कार्यों को पर्यावरणीय दृष्टिकोण से समझना चाहिए न की मुनाफे और सुविधाजनक तरीके से । हमें सतत अद्यतन और जागरूकता बनाए रखनी चाहिए, ताकि हम मिलकर एक स्वच्छ और हरित भूमि का निर्माण कर सकें।


इस लेख में हमने आसान शब्दों में मृदा प्रदुषण को समझाने का प्रयास किया है

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