मौलिक अधिकार और नीति निदेशक तत्व में अंतर
पृष्ठभूमि –
जब संविधान का निर्माण किया जा रहा था , उस समय संविधान सभा के वैधानिक सलाहकार वी. एन. राव थे . वी . एन राव ने यह सलाह दिया था कि अधिकारों को दो भागो में बाँट दिया जाय , जिसमे एक भाग वाद योग्य रखा जाय जबकि दुसरे भाग को भविष्य के लिए राज्य के ऊपर छोड़ दिया जाय और वाद योग्य न बनाया जाय .
वी . एन राव के परामर्श को स्वीकार करते हुए संविधान सभा ने संविधान के भाग तीन में मौलिक अधिकार तथा भाग चार में नीति निदेशक सिद्धांतों का प्रावधान किया.
मौलिक अधिकार क्या है –
अधिकार वे दशायें हैं , जो किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास को संभव बनाती हैं. संविधान द्वारा दिया गया मौलिक अधिकार वे मूलभूत अधिकार है , जिनके बगैर व्यक्तित्व का विकास संभव नही है. मौलिक अधिकार न्यायालय में वाद योग्य हैं. मौलिक अधिकारों को संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से लिया गया है.
मूल संविधान में सात मूल अधिकार प्रदान किया गया था लेकिन 44 वें संविधान संशोधन के उपरांत संपत्ति के अधिकार को संविधान के मूल अधिकार के श्रेणी से निकाल दिया गया तथा अनुच्छेद 300 (क) के तहत संपत्ति के अधिकार को कानूनी अधिकार बना दिया गया .
मौलिक अधिकार संविधान के भाग 3 में वर्णित हैं तथा वर्तमान में कुल 6 मौलिक अधिकार हैं .
6 मूल अधिकार कौन कौन से हैं .
1. समता या समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से अनुच्छेद 18)
2. स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से 22)
3. शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 से 24)
4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28)
5. संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29 से 30)
6. संवैधानिक अधिकार (अनुच्छेद 32 )
नीति निदेशक तत्व क्या हैं –
राज्य के नीति निदेशक तत्वों का उद्देश्य जन कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है . राज्य के नीति निदेशक तत्व संविधान के साथ विकसित होते हैं . नीति निदेशक तत्व राज्य के कर्तव्य हैं , राज्य नीति निदेशक तत्वों के अनुसार अपने अधिकार का प्रयोग करता है . संविधान में नीति निदेशक तत्वों को भाग 4 में जगह प्रदान की गयी है . नीति निदेशक सिद्धांतों को आयरलैंड से लिया गया है. संविधान में अनुच्छेद 36 से 51 तक राज्य के नीति निर्देशक तत्व शामिल किए गये हैं।
मौलिक अधिकार और नीति निदेशक तत्व में अंतर-
मौलिक कर्तव्य और नीति निदेशक तत्व में अंतर निम्नवत है .
- . मौलिक अधिकारों की धारणा अमेरिका से ली गयी है,जबकि नीति निदेशक तत्व आयरलैंड से प्रभावित हैं .
- मौलिक अधिकार राज्य के विरुद्ध अधिकार हैं जो वाद योग्य हैं , जबकि नीति निदेशक सिद्धांत राज्य के कर्तव्य है तथा वाद योग्य नहीं है .
- मौलिक अधिकारों की प्रकृति नाकारात्मक एवं साकारात्मक दोनों है , जबकि नीति निदेशक तत्व सिर्फ साकारात्मक हैं .
- मौलिक अधिकारों से राजनितिक लोकतंत्र की स्थापना होती है जबकि नीति निदेशक सिद्धांतों से आर्थिक लोकतंत्र व कल्याणकारी राज्य की स्थापना होती है .
- मौलिक अधिकार न्यायपालिका के लिए पुर्नविलोकन के आधार हैं , जबकि नीति निदेशक तत्व न्यायपालिका के लिए प्रकाश स्तम्भ की तरह हैं.
मौलिक अधिकार और नीति निदेशक तत्व में सम्बन्ध .
मौलिक कर्तव्य और नीति निदेशक तत्व में अंतर के बावजूद दोनों एक दुसरे के पूरक भी हैं क्योंकि राजनितिक लोकतंत्र तबतक अधुरा है जबतक कल्याणकारी राज्य व आर्थिक लोकतंत्र के माध्यम से इसके लिए आवश्यक परिस्थितियों का निर्माण न किया जाय .
डा. अम्बेडकर के शब्दों में कहे तो
“ आर्थिक लोकतंत्र के अभाव में राजनितिक लोकतंत्र बेईमानी है.”
मौलिक अधिकार और नीति निदेशक सिद्धांत के विवाद को सुलझाते हुए केशवानन्द भारती केस में सर्वोच्च न्यायालय में मौलिक अधिकार और नीति निदेशक सिद्धांत को एक दुसरे का अनुपूरक माना है .
42 वें संविधान संशोधन द्वारा आपातकाल में इंदिरा गाँधी की सरकार ने अपनी सामंतवादी नीतियों पर जोर देते हुए सम्पूर्ण नीति निदेशक सिद्धांतों को मौलिक अधिकारों पर वरीयता प्रदान की , जिसे मिनर्वा मिल केस 1980 में सर्वोच्च न्यायालय ने अवैध ठहराया था .
सर्वोच्च न्यायालय ने मौलिक अधिकार और नीति निदेशक सिद्धांतो के मध्य संतुलन का सिद्धांत प्रतिपादित किया .
इस तरह हम देखते हैं कि मौलिक अधिकार और नीति निदेशक तत्व दोनों हमारे संविधान में अपना महत्त्व रखते हैं .इसीलिए मौलिक अधिकार और नीति निदेशक सिद्धांतों को संविधान की आत्मा और चेतना भी कहा जाता है.
- मौलिक अधिकार और नीति निदेशक सिद्धांत से परीक्षा में पूछे गये प्रश्न–
- भारतीय संविधान के नीति निर्देशक तत्व कहाँ से लिए गए?
ans-नीति निदेशक सिद्धांतों को आयरलैंड से लिया गया है.
- भारतीय संविधान के मौलिक अधिकार कहाँ से लिए गए?
ans-मौलिक अधिकारों को संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से लिया गया है.
- मूल अधिकार कौन कौन से हैं .
ans-
1. समता या समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से अनुच्छेद 18)
2. स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से 22)
3. शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 से 24)
4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28)
5. संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29 से 30)
6. संवैधानिक अधिकार (अनुच्छेद 32 )
- नीति निर्देशक तत्व को कितने भागों में बांटा गया है?
ans-नीति निर्देशक तत्वों को तीन भागो में बाटा गया है
1) सामाजिक और आर्थिक चार्टर
2) सामाजिक सुरक्षा चार्टर
3) सामुदायिक कल्याण चार्टर
5. नीति निदेशक तत्व कौन कौन से हैं.
ans-
अनुच्छेद 36 इस भाग में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, ”राज्य” का वही अर्थ है जो भाग 3 में है।
अनुच्छेद 37 इस भाग में अंतर्विष्ट तत्वों का लागू होना।
अनुच्छेद 38 राज्य लोक कल्याण की अभिवृद्धि के लिए सामाजिक व्यवस्था बनाएगा।
अनुच्छेद 39 राज्य द्वारा अनुसरणीय कुछ नीति तत्व।
अनुच्छेद 39क समान न्याय और नि:शुल्क विधिक सहायता।
अनुच्छेद 40 ग्राम पंचायतों का संगठन।
अनुच्छेद 41 कुछ दशाओं में काम, शिक्षा और लोक सहायता पाने का अधिकार।
अनुच्छेद 42 काम की न्यायसंगत और मानवोचित दशाओं का तथा प्रसूति सहायता का उपबंध।
अनुच्छेद 43 कर्मकारों के लिए निर्वाह मजदूरी आदि।
अनुच्छेद 43क उद्योगों के प्रबंध में कार्मकारों का भाग लेना।
अनुच्छेद 44 नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता।
अनुच्छेद 45 बालकों के लिए नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का उपबंध।
अनुच्छेद 46 अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा अन्य दुर्बल वर्गों के शिक्षा और अर्थ संबंधी हितों की अभिवृद्धि।
अनुच्छेद 47 पोषाहार स्तर और जीवन स्तर को ऊंचा करने तथा लोक स्वास्थ्य को सुधार करने का राज्य का कर्तव्य।
अनुच्छेद 48 कृषि और पशुपालन का संगठन।
अनुच्छेद 48क पर्यावरण का संरक्षण और संवर्धन और वन तथा वन्य जीवों की रक्षा।
अनुच्छेद 49 राष्ट्रीय महत्व के संस्मारकों, स्थानों और वस्तुओं का संरक्षण देना।
अनुच्छेद 50 कार्यपालिका से न्यायपालिका का पृथक्करण।
अनुच्छेद 51 अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की अभिवृद्धि।
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