द एशेज का इतिहास

THE ASHES- द एशेज सीरिज का इतिहास

THE ASHES- द एशेज

द एशेज इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया की क्रिकेट टीमों के मध्य प्रति 2 वर्ष पर खेले जाने वाली टेस्ट सिरीज़ का नाम है। यह विश्व की सबसे पुरानी और लोकप्रिय टेस्ट सिरीज़ है। इसका नाम जितना अनोखा है, उतना ही अनोखा है इसके नामकरण का इतिहास।

एशेज का अर्थ होता है- दाह संस्कार के अवशेष या राख। इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच टेस्ट इतिहास के पहले मैच की शुरुआत 1877 हुई।1882  में ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को उसी के देश(the oval ground) में हराने के कारनामा किया| ब्रिटिश मीडिया और फैंस को ये हार इस कदर नागवार गुजरी कि कई खेल प्रत्रिकाओं तथा अखबारों में व्यंग के तौर पर इंग्लैंड की टीम की निधन- सूचना/ शोक समाचार(Orbituary) छापी गयी।

प्रत्रिकाओं तथा अखबारों में व्यंग के तौर पर इंग्लैंड की टीम की निधन- सूचना/ शोक समाचार(Orbituary) का एक अंश

यह घटना इतनी प्रसिद्ध हुई कि 1882-83 के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जाने वाली इंग्लैंड की टीम के कप्तान  IVO BLIGH ने वादा किया कि वो ” ऑस्ट्रेलिया से उन एशेज को वापस लेकर आएंगे “.

अगले 20 सालों तक ये शब्द सामने नही आया, खासकर इंग्लैंड की मीडिया में।फ़िर 1903 में इंग्लैंड केबकप्तान Pelham Warner ने Ivo  Bligh की तरह एशेज वापस लाने की बात की और सीरीज जीती भी। 1905 में जाकर पहली बार क्रिकेट का बाइबिल कहे जाने वाली Wisdon मैगज़ीन में एशेज शब्द का प्रयोग किया गया । इसके बाद इस शब्द को पहचान मिली।

THE ASHES URN, एशेज राख कलश जो एशेज विजेता टीम के कप्तान को दी जाती है, एक 10.50 सेंटीमीटर की टेराकोटा निर्मित ट्रॉफी है और ऐसा विश्वास है  कि इसमें क्रिकेट बेल ( स्टम्प के ऊपर रखा जाने वाला लकड़ी के टुकड़ा) की राख है जो 1882-83 में ऑस्ट्रेलिया द्वारा विजेता इंग्लैंड टीम के कैप्टन IVO BLIGH को दिया गया था। इस कलश पर 2  लेबल्स चिपकाए गए थे, पहले लेबल के तौर पर ऊपर की तरफ लिखा था  The ASHES और दूसरे लेबल के तौर पर नीचे कि तरफ मेलबॉर्न पंच मैगज़ीन में 1 फरवरी 1883 को इस कलश के बारे में प्रकाशित कुछ लाइन्स लिखी हुई थी।

THE ASHES TROPHY पर लिखे शब्द

IVO BLIGH की मृत्यु के बाद 1929 में यह कलश लॉर्ड्स  pavallion के लांग रूम में  1953 तक रखा गया। तब से यह MCC क्रिकेट म्यूजियम में रखा गया है। बहुत कमजोर होने के कारण यह कलश सिर्फ 3 बार ही ऑस्ट्रलिया ले जाया गया है।

यह URN/ राख कलश तब से द एशेज का प्रतीक चिन्ह बन गया है जो आज भी विजेता टीम को  इसी कलश की प्रतिकृति जीत की निशानी के तौर पर दी जाती है।

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