वेवेल रामकलावन दिनांक 25 अक्तूबर 2020 को सेशेल्स के राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हुए हैं और ये सन 1977 के बाद पहली बार हुआ है जब कोई विपक्ष का नेता राष्ट्रपति निर्वाचित हुए हैं। राष्ट्रपति चुने जाने से पहले वे विपक्ष के कद्दावर नेतावों में प्रमुखता से जाने जाते रहे हैं और बदलते सेशेल्स की तस्वीर में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है। राष्ट्रपति वेवेल रामकलावन का जन्म सेशेल्स के माहे में हुआ था और उन्होंने स्कुल से लेकर कॉलेज तक की शिक्षा सेशेल्स में ही प्राप्त की तत्पश्चात धार्मिक शिक्षा ग्रहण हेतु उन्होंने मॉरिशस की ओर कुच किया। धार्मिक शिक्षा ग्रहणकरने के बाद वो पुजारी बन गए।
बिहार के साथ रामकलावन का क्या सबंध है ?
यूं तो बिहार का नाम प्राचीन इतिहास से ही गौरव का विषय रहा है। इसी बिहार की मिट्टी ने देश और देश से बाहर कई सारे क्षेत्रों में अनगिनत विभूतियों को जन्म दिया है। आज उन्हीं विभूतियों में से एक सेशेल्स के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति वेवेल रामकलावन के बारे में जिक्र है, जिनके पूर्वज 135 साल पहले बिहार के गोपालगंज के बरौली प्रखंड के परसौनी गांव से गिरमिटिया मजदूर बनकर मॉरीशस की ओर प्रवासित हुए थे।
विगत दो साल पहले जनवरी 2018 में आयोजित संसद सम्मेलन, नई दिल्ली में इन्होंने सेशेल्स राष्ट्र का नेतृत्व किया था। इस दौरान उन्होंने अपने मूल गांव परसौनी की मिट्टी पर अपना कदम रखा और इस मिट्टी को प्रणाम करते हुए भाव विह्वल हो गए। विदा लेते वक्त उन्होंने अपने कुटुंब जनों से वादा किया था कि अगली बार जब वह आएंगे तो राष्ट्रध्यक्ष बनकर ही इस मिट्टी की कर्ज को उतारेंगे। रामकलावन के राष्ट्रपति बनने से गोपालगंज का ये परसौनी गाँव हर्षित और गर्वान्वित है। समूचे बिहार के साथ साथ पूरे देश में आज खुशी की लहर है। देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इस पल को एक नये युग की शुरुवात के रूप में रेखांकन किया है।
सेशेल्स के बारे में संक्षिप्त भूमिका :
सेशेल्स राष्ट्र सन 1976 तक ब्रिटिश हुकुमत का हिस्सा रहा है और सन 1977 में यह पूर्ण रूप से आजाद हुआ। सेशेल्स 115 द्वीप के साथ कोरल रीफ का प्रसिद्ध जगह है जहाँ ग्रीन टर्टल जैसे दुर्लभ प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं।
आगे की राह :
भारत सेशेल्स के एक द्वीप पर भारतीय नेवी हेतु एक बेस तैयार करना चाहता है जो की हिन्द महासागर में भारत के लिए एक रणनीतिक कदम साबित होगा । इससे न सिर्फ हिन्द महासागर में भारत की प्रमुखता बनी रहेगी अपितु वैश्वीक राजनीति में भारत की पैठ मजबूत होगी।
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